सभी संकटों को दूर करता है सुंदरकांड का पाठ : जाने इसके नियम और सावधानियां

Naveen Kumar
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सभी शुभ अवसरों पर सुंदरकांड का पाठ करना अच्छा माना जाता है l हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से मनुष्य के सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं l तुलसी दास जी द्वारा रचित संपूर्ण रामचरितमानस में भगवान श्री राम के शौर्य और विजय की गाथा का वर्णन है, वही सुंदरकांड में भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त हनुमान के बल, भक्ति और विजय का उल्लेख है l इसमें राम भक्त हनुमान जी द्वारा माता सीता की खोज और राक्षसों के संहार का वर्णन है l यही कारण है कि सुन्दरकाण्ड का पाठ रामचरितमानस में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है l रामचरितमानस के सात कांडों में से एक सुंदरकांड है जिसमें दोहे और चौपाइयां विशेष छंद में लिखी गई है l

सुंदरकांड का पाठ करने के नियम

सुंदरकांड का पाठ शनिवार और मंगलवार को संध्या काल में करना लाभकारी माना जाता है l भगवान राम और हनुमान जी की फोटो के समक्ष घी का दीपक जलाकर, लाल फूल चढ़ाए जाते हैं l बूंदी और केले का भोग लगाना उत्तम माना जाता है l पाठ करने से पहले भगवान राम का स्मरण करना शुभ होता है l उसके बाद हनुमान जी को याद करते हुए पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ सुंदरकांड का पाठ आरंभ करना चाहिए l पाठ के अंत में हनुमान जी की और भगवान राम जी की आरती करें और पूजा की समाप्ति के बाद प्रसाद का वितरण करें l

सुन्दरकांड पाठ करते समय सावधानियां

सुंदरकांड का पाठ करते समय तन और मन दोनों की शुद्धि रखें l सात्विक आहार लें व ब्रह्मचर्य का पालन करें l यह पाठ दोपहर 12 बजे के बाद नही करना चाहिए l जितने शुद्ध भाव और अर्थ से इसका पाठ करेंगे उतनी ही यह पूजा फलदाई होगी l विश्वास रखें कि भगवान हमारे सभी संकटो से हमें मुक्ति देंगे l

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